बढती यादें।
बचपन में बहुत बचपन की कुछ धुंधली बातें याद आती थी, एक बैट था।
फिर थोड़ा और बड़े होने पे याद आने लगा पुराना स्कूल और गली के तीन
दोस्त।
अब याद आता है पहला आलिंगन तुम्हारा
और कुछ साल बाद याद आएगी आज पढी हुई कविता।
दोपहर में गर्मी के साथ यादें भी बढ़ती जा रही हैं।
----- चिराग़ शर्मा
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