क्या कभी देखे हैं तुमने,
गिरेबान में,जाले?
वही जो आ जाते हैं वापस ,
बिना बताए..
मैं रोज़ देखता हूँ उन्हे,
खुद पर लिपटे हुए..
कभी मैं भी था तुम्हारे जैसा,
खुश,उत्साहित,विश्वासी,
नया सा..
पर अब उन जैसा हूँ मैं,
जो होना किसी को पसंद नहीं..
और तुम्हे यकीन है,
के नहीं होगे तुम उस जैसे,मेरे जैसे..
कहा था मैने,
तुम विश्वासी हो,
और के मैं भी था..
सच कहूँ,
ख़ामखाँ जीना खतरनाक है..
--- प्रवेश
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