कोई आधी छूटी
कविता
कोई उलझा सा
विचार
एक ऐसी कहानी जिसका
अन्त लिखना हो गया
हो कठिन ,
तुम भी उसी
तरह हो गए
हो ,
अब मेरी जन्दगी
आधे अधूरे से जिस्म से छूटे हुए पर रूह
से बंधे हुए
|
उलझी हुई आज
भी हूँ
इस पहेली की तरह
तुम्हारा इंतज़ार करूँ या
नहीं ,
अपनी उम्मीद पर एतबार करूँ
या नहीं ,
और किसी कहानी की
तरह
हमारे प्यार का अन्त
मैं चाहती नहीं |
क्योंकि मेरा प्यार अन्तहीन है
मेरा प्यार अनन्त है |
------ मुक्ता भावसार
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