31 दिसम्बर की रात
31
दिसम्बर रात के
लगभग 11.30
बज रहे थे ,
अमृत और अनिका एक
पेड़ के नीचे
खड़े इंतजार कर रहे
हैं बारिश के थमने
का | अनिका को बारिश के
बूंदों से हमेशा से
ही प्यार था और
वो दिसम्बर की इस
सर्द रात में
भी बारिश को महसूस करना
चाह रही थी |
लेकिन अमृत की
आंखे उसे नसीहत दे
रही थी बारिश से
दूरी बनाएं रखने की | अमृत को
बारिश कभी नहीं
पसंद थी लेकिन जितनी यादें बारिश में
उसने अनिका के साथ
जीं
,
वो उसकी सबसे
बेहतरीन यादें थी | अमृत अनिका से
भी तो यही
कहता था या
तो पूरा भीग
जाओ या बिलकुल नहीं
, ये आधा-अधूरा भीगना मुझे बिलकुल पसंद
नहीं , और अनिका ने
भी तो यही
किया अमृत के
प्यार में खुद
को पूरी तरह
भिगो लिया | रूह की
गहराइयों तक , ताकि
कोई हिस्सा प्यार से अनछुआ ना
रहे |
अचानक अनिका की आंख
खुल जाती है | अकसर दिसम्बर महीने के
आखरी दिनों में अनिका को
ये सपना आता
है
| सपना या वो हकीकत जिसे
उसने जिया था
| बिलकुल इस ख्वाब की तरह
ही तो बीती
थी अनिका और अमृत
के प्यार के पहले
साल में दिसम्बर की
आखरी रात | शायद
यही वजह है
कि दिसम्बर की वो
रात सदा के
लिए अनिका की आंखों में
बस गयी | जो
रात सुनहरी याद बन
कर अनिका की ज़िन्दगी में
सजी थी , सात साल के
लंबे रिश्ते के ख़त्म
होने के बाद
अकसर वही याद
एक डरावना ख्वाब बनकर अनिका के
सामने आ जाती
हैं , और जब
नींद टूटती है अनिका को
मिलती है कभी
ना ख़त्म होने
वाली बेचैनी |
वो सोचती है कि
अब वो दिसम्बर की
रात कभी लौट
कर नहीं आएगी
, और अकसर साल के
अंत में दिसम्बर की
उस रात के
बारें में सोचती हैं
| जब उसने अमृत की
हर बात पर
यकीन किया था
, कितना आसान था अनिका के
लिए यकीन करना
और अमृत के
लिए ख्वाब दिखाना | अनिका करती भी
क्यों ना अमृत
की बात पर
ऐतबार , अमृत ने
ही तो कहा
था कि वो
अपनी ज़िन्दगी का हर
31 दिसम्बर और 1 जनवरी का दिन
उसके साथ रहना
चाहता है | यानी सारी ज़िन्दगी अमृत
अनिका का साथ
चाहता था | कई
सालों तक तो
अमृत ने वो
वादा भी निभाया , लेकिन वो
ज़िन्दगी भर साथ
निभाने का वादा
नहीं निभा पाया
| फिर भी अनिका के
ज़िन्दगी में हर
साल 31
दिसम्बर की रात
ख्वाबो में ही
सही अमृत होता
है
| अमृत नहीं निभा पाया
अपना वादा लेकिन अनिका हर
साल करती है नये साल
की शुरुआत 31
दिसम्बर की उस
रात से |
अमृत का प्यार अब
खत्म हो गया
है लेकिन अनिका को ऐसा
लगता है मानो
उसके के लिए
अमृत की यादों से
ज्यादा नया कुछ
हो ही नहीं सकता | अनिका पर सारी उम्र
उस 31
दिसम्बर की वो
रात हावी रही
, जिसकी वजह से कितने ही
साल बीत जाने
के बाद भी
अनिका की ज़िन्दगी में
1 जनवरी का नया
सवेरा नहीं हुआ
| वो हर साल नई
1 जनवरी की उम्मीद में अपनी आंखे
बंद करती है ,
लेकिन उसे कई
सालों से मिल
रही है दिसम्बर की वो
रात जिसमें उसने अमृत की
हर बात पर
यकीन करने की
भूल की थी
|
---------- मुक्ता भावसार
#31_December #happy_new_year
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