“और भाई,क्या हालचाल?”
“बस बढ़िया” मैं पीछे मुड़ा और हल्का मुस्कुराया
“सॉरी सर, मैनें आपको कोई और समझ लिया था! वैसे माचिस होगी?” मैने लाइटर बढ़ाया
“आप यहां सामने काम करते हैं?”
“हां,वहीं से आ रहा हूं”
“मैं यहीं सामने रहता हूं,आप यहीं से हैं या बाहर से?”
“नहीं दिल्ली से हूं, तुम लोकलाइट तो नहीं लगते”
“हां पटना से हूं,स्ट्रगलर हूं,लिखता हूं”
“क्या बात है, तुम तो यार लेखक निकले”
वो हंसा और बोला “वैसे आज ठंड बहुत है”
मैने जेब में हाथ डालते हुए सिर हिलाया
“लगता है कोहरा कई दिन और रहेगा” उसने धुआं ऊपर
उड़ाते हुए कहा
“हां कुछ कह नहीं सकते”
“लेखक हूं सर, लिख के दे सकता हूं,इस साल का कोहरा हमेशा याद रखा जाएगा, कई रिकॉर्ड टूटेंगे इस दफ़े”
“हा हा हा”
“मेरी बस आ गई, अच्छा सर मिलते हैं”
“बाय” मैने हाथ हिलाकर कहा.
“शब्बाखैर” वो बस में चढ़ते हुए बोला.
“सर ये न्यूज़ पढ़े आप?” ऑफिस बॉय ने पूछा.
“कौन सी न्यूज़?” मैने सिगरेट जलाते हुए कहा.
“एक लड़के का यहीं सामने चौराहे के पास पोलीस से
झड़प हुआ, पोलीसवाला पहले उसे बेल्ट से मारा, फिर जूते से मार-मारकर मार दिया, लड़का पटना का ही था हमारे!”
मुझे घुटन महसूस हुई,
बालकनी में रखे गमले की मिट्टी में एक शब्द लिखा
मैंने,
“शब्बाखैर”
कोहरा पूरे महीने जमा रहा!
-------प्रवेश
--ये प्रवेश नौटियाल की कहानी है जो की thelallantop.com पर भी छप चुकी है वो भी फ़ोटो के साथ , माफ़ कीजिये फ़ोटो नहीं मिल पाया , अगली बार कोशिश करेंगे तब तक कहानी से काम चलिए |
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