Monday 15 August 2016

हैप्पी इंडिपेंडेंस डे !

हैप्पी इंडिपेंडेंस डे !

सुबह सुबह एक दोस्त का मैसेज आया ' हैप्पी इंडिपेंडेंस डे ' मैंने भी रिप्लाई में लिख दिया ' सेम टू यू '

फ़िकर मत कीजिये ज्ञान नहीं पेलूँगा कि , कहाँ है आज़ादी , अभी भी गुलाम हैं हम बेरोज़गारी के , भ्रष्टाचार के , ग़रीबी के !
यक़ीन मानिए हर मुल्क में कुछ न कुछ समस्याएं होती हैं , पर ख़ुशी  मनाइये हम आज़ाद हैं । फेसबुक , ट्विटर खोल कर देख लीजिये भरपूर देश भक्ति मिल जायेगी आप को , नहीं में सर्कास्टिक  नहीं हो रहा बस कह रहा हूँ। और रही बात सही और ग़लत की तो सब सही है , मुल्क आज़ाद है भाई जो जी में आए कर सकते हैं , बाकी आप समझदार हैं ।


खैर हमारे लिए तो इंडिपेंडेंस डे का महत्व तभी ख़त्म हो गया था जिस दिन स्कूल ख़त्म हुआ था , उस समय दो लड्डूओं से हमारी आज़ादी ख़रीदी जा सकती थी । ऐसा नहीं है कि देश के प्रति प्रेम ख़त्म हो गया है, देश प्रेम बहुत है लेकिन हमारा प्रेम फेसबुक या ट्विटर पर ज़ाहिर नहीं हो सकता , ना ही देश के लिए और ना ही किसी और के लिए , जिन लोगों का हो सकता है और हो रहा है वे बुरा ना मानें , मैं सिर्फ अपनी बात कर रहा था | मानता हूँ आपका प्रेम भी सच्चा होगा बस उसे ज़ाहिर करने का ज़रिया अलग है , फिर से कहूँगा जो की ग़लत बिलकुल भी नहीं है , क्योंकि मुल्क आज़ाद है जो जी में आए कर सकते हैं , बाकी समझदार तो आप हैं ही ।
  
हालाँकि आज़ादी के सही मायने मुझे अब तक समझ नहीं आए हैं , हर किसी के लिए आज़ादी के कुछ अलग ही मायने होते हैं , किसी के लिए आज़ादी सिर्फ दो वक़्त की रोटी का मिलना हो सकता है तो किसी के लिए देर रात तक शहर में घूमना । आज हर कोई अपने हिसाब की आज़ादी चाहता है । कोई घर से , कोई नौकरी से , कोई रिश्तों से तो कोई रिश्तेदारों से , और कुछ लोगों को तो खुद से ही आज़ादी चाहिए होती है | लड़कियों को आज़ादी चाहिए समाज की दोहरी सोच से उनके ऊपर जताए जाने वाले हक़ से , उनको आज़ादी चाहिए काम करने की , जो चाहें सो पहनने की सबसे जरूरी उनको चाहिए आज़ादी अपने हक़ की |
हाँ भईया पता है थोड़ा ज्ञान हो गया, कहा था नहीं पेलूँगा ज्ञान ,  पर आप तो जानते ही है मुल्क आज़ाद है, और फिर समझदार तो आप हैं ही |   

                                  ---- ब्लॉग मालिक

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