हैप्पी
इंडिपेंडेंस डे !
सुबह सुबह एक दोस्त का मैसेज आया ' हैप्पी इंडिपेंडेंस डे ' मैंने
भी रिप्लाई में लिख दिया ' सेम टू यू '
फ़िकर मत कीजिये ज्ञान नहीं पेलूँगा कि , कहाँ है आज़ादी , अभी भी गुलाम हैं हम बेरोज़गारी के , भ्रष्टाचार के , ग़रीबी के !
यक़ीन मानिए हर मुल्क में कुछ न कुछ समस्याएं होती हैं , पर ख़ुशी
मनाइये हम आज़ाद हैं । फेसबुक , ट्विटर
खोल कर देख लीजिये भरपूर देश भक्ति मिल जायेगी आप को , नहीं में सर्कास्टिक नहीं हो रहा बस कह रहा हूँ। और रही बात सही और ग़लत की तो सब सही है , मुल्क आज़ाद है भाई जो जी में आए कर सकते हैं , बाकी आप समझदार हैं ।
खैर हमारे लिए तो इंडिपेंडेंस डे का महत्व तभी ख़त्म हो गया था जिस
दिन स्कूल ख़त्म हुआ था , उस समय दो लड्डूओं से हमारी आज़ादी
ख़रीदी जा सकती थी । ऐसा नहीं है कि देश के प्रति प्रेम ख़त्म हो गया है, देश प्रेम
बहुत है लेकिन हमारा प्रेम फेसबुक या ट्विटर पर ज़ाहिर नहीं हो सकता , ना ही देश के
लिए और ना ही किसी और के लिए , जिन लोगों का हो सकता है और हो रहा है वे बुरा ना मानें
, मैं सिर्फ अपनी बात कर रहा था | मानता हूँ आपका प्रेम भी सच्चा होगा बस उसे
ज़ाहिर करने का ज़रिया अलग है , फिर से कहूँगा जो की ग़लत बिलकुल भी नहीं है , क्योंकि
मुल्क आज़ाद है जो जी में आए कर सकते हैं , बाकी
समझदार तो आप हैं ही ।
हालाँकि आज़ादी के सही मायने मुझे अब तक समझ नहीं आए हैं , हर किसी के
लिए आज़ादी के कुछ अलग ही मायने होते हैं , किसी के लिए आज़ादी सिर्फ दो वक़्त की
रोटी का मिलना हो सकता है तो किसी के लिए देर रात तक शहर में घूमना । आज हर कोई
अपने हिसाब की आज़ादी चाहता है । कोई घर से , कोई
नौकरी से , कोई रिश्तों से तो कोई रिश्तेदारों से
, और कुछ लोगों को तो खुद से ही आज़ादी चाहिए होती है | लड़कियों को आज़ादी चाहिए
समाज की दोहरी सोच से उनके ऊपर जताए जाने वाले हक़ से , उनको आज़ादी चाहिए काम करने
की , जो चाहें सो पहनने की सबसे जरूरी उनको चाहिए आज़ादी अपने हक़ की |
हाँ भईया पता है थोड़ा ज्ञान हो गया, कहा था नहीं पेलूँगा ज्ञान , पर आप तो जानते ही है मुल्क आज़ाद है, और फिर
समझदार तो आप हैं ही |
---- ब्लॉग मालिक
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