मैं तुमसे हर रोज़ मिल जाती हूँ
अपने आप को ढूंढने की कशिश में
कही ,
खुद से तो मुलाक़ात नहीं हो
पाती
लेकिन मुझे मिलती है हमेशा
गहरी उदासी ,
उदासी कि सब कुछ पहले जैसा
नहीं है
जो मेरा था अब वो मेरा नहीं
------- मुक्ता भावसार
No comments:
Post a Comment