किसी ने पूछा, तुम्हारी कविताओं में 'तुम' कौन है ?
मैंने कहा जो 'तुम' को 'हम' में तब्दील ना कर सका
जिसकी ज़िन्दगी में, 'मैं' हमेशा गुमनाम रही
कैसे बता देती कि कौन है वो ?
उसका नाम लिया तो हंगामा मच जाएगा
बहुत नाम वाला है वो खामखा बदनाम हो जाएगा
नाम, मान, सम्मान और पहचान से बड़ा प्यार कब हुआ है
उसने ज़िन्दगी में नाम कमाया
हर ख्वाब को सच कर दिखाया
हर नामुमकिन मुकाम को पाया
पर सुना है अब वो तन्हा है
काश 'मैं और तुम' हम हो पाते
वो भी यही सोचता है
पर काश मुमकिन कब हुए
जो बिछड़े वो फिर कब मिले है |
----- मुक्ता भावसार
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