मुझे इश्क़ है उस शहर से
वहाँ की सुबह और दोपहर से
तेरी नजदीकियों के अहसास से
तुझसे मिलने की आस से
चाँदनी उस रात से
खिलखिलाती बरसात से
उस पहली मुलाकात से
सर्दियों की धूप से
गर्मियों की छाँव से
संग बढ़ते क़दमों से
तुमसे मिले ग़मों से
तुम्हारी नर्म छुअन से
बिछड़ने की तड़पन से
तुम्हारी रूह से , तुम्हारे मन से
मुझे इश्क़ है तुम्हारे हर रंग से |
-------- मुक्ता भावसार
No comments:
Post a Comment