मुझे आज चाँद
का इंतजार नहीं
मगर ऐसा नहीं
कि तुमसे प्यार नहीं
मैं आज भी
तुमसे बेइम्तहाँ प्यार करती हूँ
तुम्ही से जी
उठती हूँ
और तुम्ही पर मर
मिटती हूँ
नहीं मिलती है तेरी
मुझको एक झलक
मैं तेरी तस्वीर को
देख कर संवरती हूँ
ना किसी तोहफे की
चाहत है
ना देरी से
आने की शिकायत
बहुत दूरियाँ आ गयी
है
अब हम दोनों के
दरमियाँ
मैं यहां और
तुम वहां
फिर मिलेंगे चांदनी रात में
हमसे चाहने वाले कहाँ
रहोगे अधूरी हसरत तुम
मेरी
चाहे मिल जाएं
मुझे सारा जहाँ
मैं रहूँगी ताउम्र बस तुम्हारी
-------मुक्ता भावसार
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