सुना है तुम गणित पढ़ाते हो
लाभ - हानि , ब्याज़ - मूल
सबका पता लगाते हो ।
लेकर आते हैं लोग तुम्हारे पास उलझने
सुना है तुम उनका हल बताते हो ।
एक उलझन मेरी भी है !
क्या तुम सुलझा पाओगे ?
तुमसे मिलकर लाभ क्या हुआ
मुझसे बिछड़ कर कुछ हानि हुई क्या ?
तेरे साथ गुज़ारे लम्हों पर यादों का कितना प्रतिशत ब्याज़ लगा ?
मीलों के समय की क्या गति थी
कितना तेरे साथ बीता
कितना रही तुझ से ज़ुदा ?
इन् सब बातों का मुझे तुम हिसाब बताओगे क्या !
--- मुक्ता भावसार
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