आज टूट गया मेरे दिल का वहम
ऐसा लगा जैसे सदियों के बाद नींद से जागे हो हम
ख्वाबों की दूनिया जब छूटी
लगा के जैसे साँसे टूटी,
ये सच है कि तुम थे बेहद ख़ास
लेकिन थे बस एक ख्वाब
क्यों ख़्वाबों को हकीकत समझा
क्यों रिश्ता तुझसे अटूट जोड़ा ,
ख़्वाब दिखाना नहीं था तुम्हारा दोष
सच मान लेना था बस मेरी खता ,
अब अपनी ही पहचान खो गयी है
तुझे भूलने की चाहत में ज़िन्दगी खर्च हो रही है ,
ना चैन से जाग पा रहे हैं
ना सुकून की नींद आ रही है ,
चन्द लम्हों का साथ तेरा, मेरी ज़िन्दगी पर भारी है ।
चन्द लम्हों के साथ में क्यों मैंने ज़िन्दगी अपनी हारी है
क्यों ज़िन्दगी अपनी हारी है ।
-----मुक्ता भावसार
ऐसा लगा जैसे सदियों के बाद नींद से जागे हो हम
ख्वाबों की दूनिया जब छूटी
लगा के जैसे साँसे टूटी,
ये सच है कि तुम थे बेहद ख़ास
लेकिन थे बस एक ख्वाब
क्यों ख़्वाबों को हकीकत समझा
क्यों रिश्ता तुझसे अटूट जोड़ा ,
ख़्वाब दिखाना नहीं था तुम्हारा दोष
सच मान लेना था बस मेरी खता ,
अब अपनी ही पहचान खो गयी है
तुझे भूलने की चाहत में ज़िन्दगी खर्च हो रही है ,
ना चैन से जाग पा रहे हैं
ना सुकून की नींद आ रही है ,
चन्द लम्हों का साथ तेरा, मेरी ज़िन्दगी पर भारी है ।
चन्द लम्हों के साथ में क्यों मैंने ज़िन्दगी अपनी हारी है
क्यों ज़िन्दगी अपनी हारी है ।
-----मुक्ता भावसार
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