Thursday, 16 February 2017

उदासी - मुक्ता

उसने मुझसे कहा 
मैंने देखि हैं तुम्हारी कई तस्वीरें 
तुम्हारी मुस्कराहट सुकून देती है ,

लगता है कि जीने की वजह है तुम्हारे पास 
तुम्हें अपनी मुस्कान से 
मुर्दा हो चुके लोगो में जान डालनी है ,
बताना है कि सिर्फ दुःख और दर्द का नाम नहीं जीवन
खिलखिला कर हंसना भी ज़िन्दगी जीने की वजह है ।

मैंने तुम्हे कभी उदास नहीं देखा 
खुश रहना और खुशियाँ देना तुम्हारे मिजाज में है ,
पर सोचता हूँ तुम उदास नहीं दिखती हो 
पर गहरी उदासी लिखती हो ,
जैसे कर दी हो किसी के नाम तुमने अपनी हर मुस्कान 
और सीख ली हो अदाकारी चेहरे पर चेहरा सजाने की ,
अपने किरदार को संजीदा ढंग से निभाने की
कहो तुम इतनी उदासी क्यों लिखती हो ?

मैंने कहा मैं उदासी को मुस्कराहट में छिपाने का हुनर रखती हूँ 
जब उदास नहीं दिखती तब बेहद उदास होती हूँ
और सच कहु मैं कभी उदास नहीं दिखती हूँ ।

                                      ------मुक्ता भावसार
   

1 comment:

  1. अति सुन्दर रचना के लिए बधाई

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