Wednesday, 25 January 2017

सिकंदर - प्रवेश

सिकंदर

वो हर चीज़ का जवाब कुछ इस तरह देता के उसमें छटवी गली की बात ज़रूर होती,
मिसालिया तौर पर-किसी ने बताया के मिश्रा जी की लड़की ने शादी के लिए मना कर दिया,
कहा "दहेज वाले घर में नहीं जाऊँगी, मुझे अभी और पढ़ना है.. मैं बैरिस्टर बनूंगी"

उसने कहा.."अरे छोड़िए साहाब..वो छटवी गली की लड़की है ना सुलेखा, उसने हाँ कहा था शादी के लिए, लड़की वाले आए देखने और दहेज की माँग करने लगे..उसने उन्हे चप्पल से दौड़ा-दौड़ा कर भगाया..दूल्हे मियाँ तो अपना नया टचस्क्रीन फोन भी वहीं छोड़ के भागे..अब सुलेखा उसपर वॉटसअप चलाती है"..

सब ज़ोर से हँस पड़े..

एक दिन मैंने उससे पूछा,
"यार ये तुम छटवी गली की बड़ी बात करते हो..ये है कहाँ भाई?"

वो मुस्कुरुने लगा, और दौड़ के अंदर से एक सफेद जिल्द चढ़ा मोटा रजिस्टर उठा लाया, उसके कवर पर लिखा हुआ था "छटवी गली"..

"वाह अरुण भाई..तुम तो राइटर निकले"

"अरुण नहीं सर सिकंदर...छटवी गली में लोग मुझे सिकंदर बुलाते हैं"


                               ----- प्रवेश

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