Tuesday, 18 October 2016

क्या इतिहास दोहराया जाएगा ? - मुक्ता

क्या फिर कभी इतिहास दोहराया जाएगा ?
क्या फिर उसी तरह ये चांद पूजा जाएगा ?
इसका देरी से निकलना फिर तुम्हें   क्या तड्पाएगा
फिर कभी क्या तुमको हमसे वो प्यार हो पाएगा  ?
क्या तुम निहारोगे कभी फिर किसी दर्पण की तरह
क्या हम मिल पाएंगे कभी फिर उसी समर्पण की तरह ?
क्या हाथ थामे चलोगे तुम, सुनोगे मेरी शिकायतें
क्या मेरी ज़िद्द पर अपनी मर्जी फिर चलाओगे कभी ?
क्या हम ढूंढेंगे कभी पसंदीदा पकवान की दुकान
क्या फिर जिंदगी में रंग भरेगा यादों का कोई मकान ?
क्या मैं  लाल रंग में फिर उतनी सुन्दर दिखूंगी  कभी

क्या फिर इस चांद के संग तेरा दीदार करूंगी कभी ?

                                 ---------- मुक्ता भावसार 

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