दिल की दिल में रह गई तो,
अगर बात न कह गई तो?
कह कर भी न समझ पाई तो,
शर्म नहीं, उबकाई तो?
मेरे साथ जो चलती गई,
वो न हुई, परछाई तो?
वो आके पहलू में बैठ गई,
ये झूठ न हो, सच्चाई तो?
रात तो संग में बीत गई,
जिंदगी बीत न पाई तो?
-----चिराग़ शर्मा
अगर बात न कह गई तो?
कह कर भी न समझ पाई तो,
शर्म नहीं, उबकाई तो?
मेरे साथ जो चलती गई,
वो न हुई, परछाई तो?
वो आके पहलू में बैठ गई,
ये झूठ न हो, सच्चाई तो?
रात तो संग में बीत गई,
जिंदगी बीत न पाई तो?
-----चिराग़ शर्मा
बहुत सुंदर रचना
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