Friday, 23 December 2016

31 दिसम्बर की रात - मुक्ता

31 दिसम्बर की रात

31 दिसम्बर रात के लगभग 11.30 बज रहे थे ,  अमृत और अनिका एक पेड़ के नीचे खड़े  इंतजार कर रहे हैं बारिश के थमने का | अनिका को बारिश के बूंदों से हमेशा से ही प्यार था और वो दिसम्बर की इस सर्द रात में भी बारिश को महसूस करना चाह रही थी | लेकिन अमृत की आंखे उसे नसीहत दे रही थी बारिश से दूरी बनाएं रखने की | अमृत को बारिश कभी नहीं पसंद थी लेकिन जितनी यादें बारिश में उसने अनिका के साथ जीं  , वो उसकी सबसे बेहतरीन यादें थी | अमृत अनिका से भी तो यही कहता था या तो पूरा भीग जाओ या बिलकुल नहीं , ये आधा-अधूरा भीगना मुझे बिलकुल पसंद नहीं , और अनिका ने भी तो यही किया अमृत के प्यार में खुद को पूरी तरह भिगो लिया |  रूह की गहराइयों तक , ताकि कोई हिस्सा प्यार से अनछुआ ना रहे |

           अचानक अनिका की आंख खुल जाती है | अकसर दिसम्बर महीने के आखरी दिनों में अनिका को ये सपना आता है | सपना या वो हकीकत जिसे उसने जिया था | बिलकुल इस ख्वाब की तरह ही तो बीती थी अनिका और अमृत के प्यार के पहले साल में दिसम्बर की आखरी रात | शायद यही वजह है कि दिसम्बर की वो रात सदा के लिए अनिका की आंखों में बस गयी | जो रात सुनहरी याद बन कर अनिका की ज़िन्दगी में सजी थीसात साल के लंबे रिश्ते के ख़त्म होने के बाद अकसर वही याद एक डरावना ख्वाब बनकर अनिका के सामने जाती हैं , और जब नींद टूटती है अनिका को मिलती है कभी ना ख़त्म होने वाली बेचैनी |

वो सोचती है कि अब वो दिसम्बर की रात कभी लौट कर नहीं आएगी , और अकसर साल के अंत में दिसम्बर की उस रात के बारें में सोचती हैं | जब उसने अमृत की हर बात पर यकीन किया था , कितना आसान था अनिका के लिए यकीन करना और अमृत के लिए ख्वाब दिखाना | अनिका करती भी क्यों ना अमृत की बात पर ऐतबार , अमृत ने ही तो कहा था कि वो अपनी ज़िन्दगी का हर 31 दिसम्बर और 1 जनवरी का दिन उसके साथ रहना चाहता है  | यानी सारी ज़िन्दगी अमृत अनिका का साथ चाहता था | कई सालों तक तो अमृत ने वो वादा भी निभाया , लेकिन वो ज़िन्दगी भर साथ निभाने का वादा नहीं निभा पाया | फिर  भी अनिका के ज़िन्दगी में हर साल 31 दिसम्बर की रात ख्वाबो में ही सही अमृत होता है | अमृत नहीं निभा पाया अपना वादा लेकिन अनिका हर साल करती है  नये साल की शुरुआत 31 दिसम्बर की उस रात से

अमृत का प्यार अब खत्म हो गया है लेकिन अनिका को ऐसा लगता है मानो उसके के लिए अमृत की यादों से ज्यादा नया कुछ हो ही नहीं सकता | अनिका पर सारी उम्र उस 31 दिसम्बर की वो रात हावी रही , जिसकी वजह से कितने ही साल बीत जाने के बाद भी अनिका की ज़िन्दगी में 1 जनवरी का नया सवेरा नहीं हुआ | वो हर साल नई 1 जनवरी की उम्मीद में  अपनी आंखे बंद करती है , लेकिन उसे कई सालों से मिल रही है दिसम्बर की वो रात जिसमें  उसने अमृत की हर बात पर यकीन करने की भूल की थी |


                                                            ---------- मुक्ता भावसार 

#31_December #happy_new_year  




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