सुयश और यशस्वी जब भी दोनों का नाम सुनती थी मन ही मन सोचा करती थी , कितना अच्छा लगता है दोनों का नाम एक साथ , सुयश और यशस्वी , और जब भी मुलाकात हुई मुझे हमेशा यही महसूस भी हुआ जैसे दोनों नाम की तरह ही बिलकुल एक जैसे हैं | सच कहु तो उनकी जोड़ी मुझे made for each other टाइप ही लगती थी |
सुयश की आंखों में मैंने हमेशा ही यशस्वी के लिए प्यार देखा था , और कई बार उससे कहा भी है तुम्हारी आंखों में भी मुझे यशस्वी ही नजर आती है | सुयश मुस्करा देता लेकिन यशस्वी के चेहरे पर हमेशा ख़ामोशी नजर आती | शायद उसे प्यार की जगह डर ज्यादा नजर आया हमेशा से ही |
बहुत दिनों बाद यशस्वी फ़ोन आया था, कहा मन है आपसे मिलने का | मैंने भी संडे का टाइम दे दिया | उसी दिन फ्री रहती हूँ वरना तो खबरों की दुनिया में मैं अकसर खुद से बेखबर रहती हूँ | बहुत महीनों बाद मिलने आयी थी यशस्वी , शायद आखरी बार सुयश के साथ ही मिली थी मैं उससे | संडे को यशस्वी आयी और दरवाजा खोलते ही ऐसे कस के गले लगाया जैसे कोई गहरा खालीपन था उसके अंदर | मैंने कभी उसे इस तरह नहीं देखा ,उदास आंखों के साथ | इसलिए पहला सवाल तुम कैसी हो को की जगह निकला सब ठीक तो है ना ? जैसे मुझे पहले से ही पता था कि अब उसकी जिंदगी मैं सब कुछ ठीक नहीं है | उसने बड़े आराम से जवाब दिया हाँ सब कुछ ठीक है | फिर मेरे दूसरे सवाल ने उसके होंठों पर जैसे ताला लगा दिया हो |मेरा सवाल था और बताओ सुयश कैसा है और अपने बिज़नेस प्लान पर कब से काम करना शुरू कर रहा है ? उसने आंखें झुकाकर कहां दीदी अब सुयश मेरी ज़िन्दगी में नहीं है और ना ही मुझे उसकी कोई खबर है | मेरा हमेशा से ही स्वभाव रहा है कैसे और क्यों हुआ नहीं पूछा करती | इन सब मामलों में जानती हूँ जब सामने वाला अपने कम्फर्ट जोन में होगा खुद ही बता देगा | बस यशस्वी से एक ही बात कह पायी थी उस वक़्त, ''जब मन का हो तो अच्छा होता है लेकिन जब मन का नहीं होता तो और भी ज्यादा अच्छा होता है क्योंकि वो हमारी नहीं भगवन की मर्जी होती है''
अगर किसी अजीज को वो हमसे दूर करता है तो उसे पता होता है हमारे लिए वो सही नहीं , और जो सही है वो सही वक़्त पर ज़िन्दगी में जरूर आएगा | मेरी बात ख़त्म होते ही यशस्वी बोल बैठी 7 महीनों से मैं और सुयश एक साथ नहीं हैं | उससे आखरी बार फ़ोन पर ही बात हुई थी | मैं हमेशा से जानती थी कि सुयश और हम एक नहीं हो सकते हैं और इसकी कई वजह हैं कोई एक नहीं , पर जो आखरी बार उससे बात हुई वो मैं कभी नहीं भूल पाती |
सुयश - यशस्वी माफ़ कर देना ये कहना मेरे लिए आसान होगा पर तुम्हारे लिए ये करना मुश्किल , पर भी उम्मीद करता हूँ तुम माफ़ कर दोगी |
यशस्वी - क्या हुआ ? क्या कहना चाह रहे हो ?
सुयश - मेरी शादी तय हो गयी है , मैं ना नहीं कह पाया | मैं किसी का दिल नहीं दुखा सकता |
यशस्वी - मेरा दिल तोड़ना शायद सबसे आसान था इसलिए तुमने ये चुना |
सुयश - तुमने तो कहा था तुम कभी शिकायत नहीं करोगी मुझसे अगर मैं नहीं निभा पाया तो |
यशस्वी - तुमने भी तो कहा था मुझ पर भरोसा रखना मैं सब ठीक ही करूंगा | तुमने वही किया सब कुछ ठीक , लेकिन सिर्फ अपने लिए तुम मतलबी हो |
सुयश - देखो तुमने कहा था कि तुम कोई शिकायत नहीं करोगी, तो फिर आज मुझसे सवाल क्यों ?
यशस्वी - सही कहा, सवाल क्यों , तुम भरोसा तोड़ दो और मैं सवाल भी ना करूँ , खेर छोड़ो मैं तुमसे किया हुआ ये वादा भी निभा लेती हूँ , कोई सवाल नहीं और हाँ ना ही कोई शिकायत , हाँ सुनो तुम्हें ज़िन्दगी की हर ख़ुशी मिले और ख्वाब मुकम्मल हों |
सुयश - तुम्हारी ज़िन्दगी मैं भी कभी कोई गम ना हो और तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी हो |
यशस्वी बताते हुए शायद उसी दिन की याद मैं चली गयी थी , और फिर खुद ही कहने लगी दीदी कभी-कभी फ़ोन डिसकनेक्ट होने पर भी कोई रिश्ता ख़त्म हो जाता है | कितना आसान था उसके लिए ये कहना तुम्हें हर ख़ुशी मिले | जैसे वो जानता ही नहीं था कि मेरी हर ख्वाहिश और ख़ुशी उसके साथ थी , उसकी दुआ भी मुझे दर्द सी महसूस होती है |
मैं कुछ कह नहीं पायी बस गले लगा लिया यशस्वी को शायद उसे यही चाहिए था उस वक़्त | अपनापन , क्योंकि प्यार तो अब उसे सिर्फ तकलीफ ही देता है , और फिर मन ही मन सोचने लगी . मन का हो तो अच्छा और मन का ना हो तो और भी अच्छा |
आज जब फेसबुक यशस्वी की सगाई की तस्वीरें देखीं तो वो पूरा दिन मेरी आंखों के सामने आ गया था | लड़की इंडियन एयर फ़ोर्स के पायलेट के साथ जो शादी करने जा रही थी | सच में उसकी मर्जी से बड़ा कुछ नहीं होता है इसलिए कुछ चीजें भगवान पर छोड़ देना ही सही होता है |
----- मुक्ता भावसार